वित्त आयोग : Finance commission – Important facts

वित्त आयोग

वित्त आयोग (Finance Commission)

वित्त आयोग एक संवैधानिक आयोग है। भारतीय शासन व्यवस्था में विभिन्न विषयों एवं कार्यों के लिए सरकार के अतिरिक्त विभिन्न आयोगों का प्रावधान है, वैसे आयोग जिनके लिए प्रावधान भारतीय संविधान में किए गए हैं उन्हे संवैधानिक आयोग कहते हैं एवं शेष आयोगों को गैर संवैधानिक आयोग कहते हैं। 

वित्त आयोग एक संवैधानिक निकाय है जो राजकोषीय संघवाद की धुरी है, जिसका गठन संविधान के अनुछेद 280 के तहत किया जाता है।

उद्देश्य– इसका मुख्य दायित्व: संघ व राज्यों की वित्तीय स्थितियों का मूल्यांकन करना , उनके बीच करों के बटवारे की संस्तुति करना तथा राज्यों के बीच इन करों के वितरण हेतु सिद्धांतो का निर्धारण करना है। अनुच्छेद 275 के तहत संचित निधि में से राज्यों को अनुदान या सहायता दिये जाने पर भी आयोग सिफारिश करता है।

आयोग की सिफारिशों के आधार पर पंचायतों एवं नगरपालिकाओं के संसाधनों की आपूर्ति हेतु राज्य की संचित निधि में संवर्द्धन के लिये आवश्यक क़दमों की सिफारिश की जाती है

संगठन – नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा, प्रत्येक 5 वर्ष पर एक वित्त आयोग का गठन किया जाता है। इसमें कुल पाँच सदस्य, एक अध्यक्ष एवं चार अन्य सदस्य सहित, होते हैं।

योजना आयोग की समाप्ति के साथ ही योजनागत व गैर-योजनागत व्यय में भेद समाप्त किये जाने तथा वस्तु एवं सेवा कर को लागू किया जाना, जिसने संघीय राजकोषीय संबंधों के मौलिक रूप को पुनः परिभाषित किया है, की पृष्ठभूमि में 27 नवंबर 2017 को पंद्रहवे वित्त आयोग का गठन किया गया। पंद्रहवें वित्त आयोग का अध्यक्ष श्री एन.के. सिंह को बनाया गया है।

प्रथम वित्त आयोग का गठन 1952 से 1957 तक की अवधि के लिए क्षितिज चंद्र नियोगी की अध्यक्षता में किया गया।

वित्त आयोग के अध्यक्षों की सूची:

वित्त आयोगअध्यक्ष का नामकार्यकाल अवधि
पहलाक्षितिज चंद्र नियोगी1952 – 1957
दूसराकस्तुरीरंगा संथानम1957 – 1962
तीसराए.के.चंदा1962 – 1966
चौथापाकला वेंकटरामन राव राजामन्नर1966 – 1969
पॉचवांमहावीर त्‍यागी1969 – 1974
छठाब्रह्मानन्द रेड्डी1974 – 1979
सातवांजे.एम.शैलट1979 – 1984
आठवांवाई.वी. चव्हाण1984 – 1989
नौवांएन.के.पी.साल्‍वे1989 – 1995
दसवांकृष्ण चंद्र पंत1995 – 2000
ग्‍यारहवांडा. अली मोहम्मद खुसरो2000 – 2005
बारहवांचक्रवर्ती रंगराजन2005 – 2010
तेरहवांविजय.एल.केलकर2010 – 2015
चौदहवांडॉ. यागा वेणुगोपाल रेड्डी2015 – 2020
पंद्रहवांएनके सिंह2020 से 2025 तक

 

15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट

 2021-26 के लिए केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 41% सुझाया गया है। यह 14वें वित्त आयोग (2015-20) के 42% के हिस्से के सुझाव से कम है। इस 1% का समायोजन नए गठित जम्मू एवं कश्मीर तथा लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के लिए किया गया है जिन्हें केंद्र से धनराशि दी जाएगी।

आयोग ने राज्यों के हस्तांतरण का निम्न मानदंड माना है-

आवश्यकता, बराबरी, प्रदर्शन के सिद्धांत के आधार पर कुल हिस्सेदारी तय की गई है

पैमानाहिस्सेदारी (प्रतिशत)
जनसंख्या15.0
क्षेत्रफल15.0
वन और पारिस्थितिकी10.0
आय का अंतर45.0
कर और राजकोषीय प्रबंधन2.5
जनसांख्यिकीय12.5
कुल100
  • क्षैतिज हिस्सेदारी पर, 15वां वित्त आयोग इस बात पर सहमत है कि 2011 की जनगणना के आधार पर जनसंख्या के आंकड़े बेहतर रूप से राज्यों की वर्तमान आवश्यकता को दर्शाते हैं। जिन राज्यों ने जनसांख्यिकीय मोर्चे पर बेहतर प्रदर्शन किया है, उन्हें 15वें वित्त आयोग ने5 प्रतिशत का हिस्सेदारी में वेटेज दिया है।
  • 15वें वित्त आयोग ने राजकोषीय स्तर पर बेहतर काम करने वाले राज्यों को पुरस्कृत करने के लिए कर संबंधी मानदंड को फिर से लागू किया है।
  • 14 वें वित्त आयोग ने आय के अंतर के लिए 50 अंक निर्धारित किए थे जिसे घटकर 45 किया गया है, बेहतर जनसंख्या एवं राजकोषीय प्रबंधन को शामिल किया गया है जो कि पहले नहीं था।

अनुदान

2021-26 के दौरान केंद्रीय स्रोतों से निम्नलिखित अनुदान दिए जाएंगे:

  • राजस्व घाटा अनुदान: 17 राज्यों को राजस्व घाटा समाप्त करने के लिए 2.9 लाख करोड़ रुपए मिलेंगे।
     
  • क्षेत्र विशिष्ट अनुदान: निम्नलिखित आठ क्षेत्रों के लिए राज्यों को 1.3 लाख करोड़ रुपए के क्षेत्र विशिष्ट अनुदान दिए जाएंगे: (i) स्वास्थ्य, (ii) स्कूली शिक्षा, (iii) उच्च शिक्षा, (iv) कृषि सुधारों का कार्यान्वयन, (v) पीएमजीएसवाई सड़कों का रखरखाव, (vi) ज्यूडीशियरी, (vii) सांख्यिकी और (viii) आकांक्षी जिले और ब्लॉक्स। हर क्षेत्र के अनुदान प्रदर्शन आधारित होंगे।
     
  • राज्य विशिष्ट अनुदान: आयोग ने 49,599 करोड़ रुपए के राज्य विशिष्ट अनुदानों का सुझाव दिया है। ये अनुदान निम्नलिखित क्षेत्रों के लिए दिए जाएंगे: (i) सामाजिक जरूरतें, (ii) प्रशासन और इंफ्रास्ट्रक्चर, (iii) जलापूर्ति और सैनिटेशन, (iv) सांस्कृतिक और ऐतिहासिक स्मारकों का संरक्षण, (v) उच्च लागत वाले भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर, और (vi) पर्यटन।
  • स्थानीय निकायों के लिए अनुदान: स्थानीय निकायों को कुल 4.36 लाख करोड़ रुपए के अनुदान दिए जाएंगे (इसके अनुदान प्रदर्शन आधारित होंगे) जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) ग्रामीण स्थानीय निकायों को 2.4 लाख करोड़ रुपए, (ii) शहरी स्थानीय निकायों को 1.2 लाख करोड़ रुपए, और (iii) स्थानीय सरकारों के जरिए स्वास्थ्य के लिए 70,051 करोड़ रुपए। 
  • आपदा जोखिम प्रबंधन: आयोग ने आपदा प्रबंधन फंड्स के लिए केंद्र और राज्यों के बीच मौजूदा कॉस्ट शेयरिंग पैटर्न को बरकरार रखने का सुझाव दिया। केंद्र और राज्यों के बीच कॉस्ट शेयरिंग पैटर्न इस प्रकार है: (i) पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए 90:10, और (ii) अन्य राज्यों के लिए 75:25।

राजकोषीय योजनाएं

  • राजकोषीय घाटा और ऋण स्तर: आयोग ने सुझाव दिया कि केंद्र 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 4% करे। राज्यों के लिए उसने राजकोषीय घाटा सीमा (जीएसडीपी का %) को (i) 2021-22 में 4% (ii) 2022-23 में 3.5%, और (iii) 2023-26 में 3% करने का सुझाव दिया।
     
  • अगर राज्य बिजली क्षेत्र के सुधार करते हैं तो पहले चार वर्षों (2021-25) के दौरान उन्हें जीएसडीपी के 0.5% मूल्य की अतिरिक्त वार्षिक उधारी लेने की अनुमति होगी।
  • राजस्व जुटाना: आय कर के लिए वेतन से प्राप्त आय पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने के लिए टीडीएस/टीसीएस (स्रोत पर टैक्स कटौती और संग्रह) से संबंधित प्रावधानों के कवरेज को बढ़ाया जाना चाहिए राज्य स्तर पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की क्षमता का पूरा दोहन नहीं किया गया है। 
  • जीएसटी: 12% और 18% की दरों को मिलाकर दर संरचना को रैशनलाइज किया जाना चाहिए। राज्यों को जीएसटी बेस को विस्तार देने और अनुपालन सुनिश्चित करने के प्रयास करने चाहिए। 
     
  • वित्तीय प्रबंधन पद्धतियां: सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन के लिए व्यापक फ्रेमवर्क विकसित किया जाना चाहिए। एक स्वतंत्र राजकोषीय परिषद बनाई जानी चाहिए जिसके पास केंद्र और राज्यों के रिकॉर्ड्स का आकलन करने का अधिकार हो। परिषद का सिर्फ काम सिर्फ सलाह देना हो।
     

अन्य सुझाव

  • स्वास्थ्य: राज्यों को 2022 तक स्वास्थ्य पर अपने व्यय को बढ़ाकर 8% करना चाहिए। 2022 तक कुल स्वास्थ्य व्यय में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा व्यय का हिस्सा दो तिहाई होना चाहिए।अखिल भारतीय मेडिकल और स्वास्थ्य सेवा स्थापित की जानी चाहिए।
     
  • रक्षा और आंतरिक सुरक्षा की फंडिंग: मॉर्डनाइजेशन फंड फॉर डिफेंस एंड इंटरनल सिक्योरिटी (एमएफडीआईएस) नामक डेडिकेटेड नॉन-लैप्सेबल फंड बनाया जाना चाहिए जोकि रक्षा और आंतरिक सुरक्षा की बजटीय जरूरतों और पूंजीगत परिव्यय के आबंटन के बीच के अंतर को मुख्य रूप से दूर करे। पांच वर्षों (2021-26) के लिए इस फंड का अनुमानित कॉरपस 2.4 लाख करोड़ रुपए होगा। इसमें से 1.5 लाख करोड़ रुपए भारत के समेकित कोष से हस्तांतरित किए जाएंगे। शेष राशि दूसरे उपायों से उगाही जाएगी, जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के रक्षा उपकरणों का विनिवेश और रक्षा क्षेत्र की जमीन का मुद्रीकरण।
     
  • केंद्रीय प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस): सीएसएस के वार्षिक आबंटन के लिए एक सीमा निर्धारित की जाए जिससे नीचे सीएसएस की फंडिंग रोक दी जाए (सीएसएस को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के लिए जिसकी उपयोगिता की अब कोई जरूरत नहीं है या उसका परिव्यय महत्वहीन है)। 

 

केंद्र द्वारा हस्तांतरित करों में बिहार का हिस्सा 14 वें वित्त ने 9.665% निर्धारित किया था जब कि अब यह 10.058% निर्धारित किया गया है। 

राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission)

देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास में ग्रामीण और शहरी निकायों की महत्वपूर्ण भूमिका है किन्तु तीव्र जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, गरीबी और वित्तीय संसाधनों के अपर्याप्त हस्तांतरण के कारण स्थानीय निकायों की आर्थिक स्थिति खराब होती है। स्थानीय निकाएं अनुदान के लिए राज्य सरकारों पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं।

इस संदर्भ में केन्द्रीय वित्त आयोग के तर्ज पर एक राज्य वित्त आयोग के गठन की आवश्यकता पर बाल दिया जाने लगा। 73 वें और 74 वें संशोधन अधिनियम के अनुच्छेद 243(I) और 243(Y) के अनुसार राज्य वित्त आयोग गठन करने के लिए कानून पारित किया गया। 1993 के बाद राज्य प्रत्येक पाँच वर्ष के पश्चात, स्थानीय निकायों के लिए राज्य वित्त आयोग का गठन किया जा रहा है।

राज्य वित्त आयोग की संरचना

प्रत्येक राज्य में वित्त आयोग का गठन राज्यपाल की घोषणा के आधार पर किया जाता है और इसके अध्यक्ष और सदस्यों के पदभार ग्रहण के बाद यह अस्तित्व में आता है।

सभी राज्यों में इसकी संरचना में एकरूपता का अभाव है।

प्रावधान के अनुसार राज्य वित्त आयोग का गठन प्रत्येक पाँच वर्ष  के पश्चात किया जाएगा। हालांकि इसका कोई स्थायी कार्यकाल निश्चित नहीं है और आयोग के रिपोर्ट प्रस्तुत करते ही इसकी कार्यावधि समाप्त हो जाती है।

बिहार में वर्तमान में 6ठा वित्त आयोग का गठन किया गया है। षष्टम राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष नवीन कुमार हैं।

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