Neolithic age in Hindi | navpashan kal | नव पाषाण काल

Neolithic age in Hindi

Neolithic age in Hindi | navpashan kal | नव पाषाण काल

Neolithic age in Hindi अर्थात नव पाषाण काल (navpashan kal) पाषाण काल में सबसे आधुनिकतम काल है जिसे नव पाषाणकालिक क्रांति भी कहा जाता है। अपेक्षाकृत रूप से नव पाषाण काल से अधिक प्रश्न पूछे जाते हैं। नव पाषाण काल के स्थल एवं उत्खनन से प्राप्त साक्ष्य से सर्वाधिक प्रश्न पूछे जाते हैं। इस पोस्ट में दिए गए तथ्य का संकलन झा श्रीमाली की प्राचीन भारतीय इतिहास एवं किरण प्रकाशन के भारतीय इतिहास से तैयार किये गए हैं।

Neolithic age in Hindi (नव पाषाण काल)

  • जान लुवाक ने 1865 में प्रथमतः नवपाषाणकाल शब्द का प्रयोग किया अपनी पुस्तक ‘प्री हिस्टोरिक टाइम्स’ में । गार्डन चाइल्ड ने इसे नवपाषाणिक क्रांति की संज्ञा दी
  • गार्डन चाइल्ड ने इसे अन्न उत्पादक अर्थव्यवस्था के रूप में वर्णित किया है।
  • नवपाषाण काल के प्रथम प्रस्तर उपकरण उ. प्र. के टोंस नदी घाटी में सर्वप्रथम 1860 ई. लेन्मेसुरियर ने प्राप्त किया।
  • भारतीय उपमहाद्वीप में नवपाषाण युगीन प्राचीनतम बस्ती पाकिस्तान में स्थित ब्लूचिस्तान प्रान्त में मेहरगढ़ में है। 
  • नवपाषाणकालीन अर्थव्यवस्था का आधारभूत तत्व खाद्य उत्पादन व पशुपालन की जानकारी और स्थिर ग्राम्य जीवन की शुरूआत है।
  • नवपाषाण काल में विश्व स्तर पर नियमित खेती की शुरूआत हुई तथा ओखली, मूसल व सिलवट्टे का प्रयोग हुआ। इस काल में पहिए का आविष्कार हुआ, मृदभाण्ड का निर्माण
  • इस युग के उपकरण सुडौल, सूक्ष्म व पालिश युक्त है। कुठारी व कुल्हाड़ी इस युग के प्रतिनिधि उपकरण हैं।
  • वास्तविक नवपाषाण कालीन स्थल धातुरहित माना जाता है।
  • इस काल में श्रम विभाजन तथा  स्त्री, पुरुष में विभेद दिखना प्रारम्भ हुआ। व्यक्तिगत सम्पत्ति की भावना का विकास हुआ।
  • इसी काल में धीरे-धीरे मातृसत्तात्मक समाज पितृसत्तात्मक समाज में परिवर्तित होने लगा। नवपाषाणिक मानव ने प्राकृतिक शक्तियों के रूप में मातृदेवी की उपासना प्रारम्भ की।
  • पुनर्जन्म में विश्वास बढ़ रहा था। नवपाषाणिक ग्राम्य संस्कृतियों ने ही कांस्ययुगीन शहरी संस्कृतियों के उदय का मार्ग प्रशस्त किया।
  • भारत में नवपाषाण काल से सम्बद्ध पुरातात्विक खोज प्रारम्भ करने का श्रेय डॉ. प्राइमरोज को है। इन्होंने 1842 ई. में लिंगसुगुर (कर्नाटक) नामक स्थल से उपकरण खोजे।
  • कताई और बुनाई की कला से भी परिचित थे; क्योंकि पुराविदों को उत्खनन से चर्खे के कुछ अंश प्राप्त हुए हैं।

Neolithic age in Hindi

नव पाषाण काल (Neolithic age in Hindi) के साक्ष्य

  • मेहरगढ़ से जौ के दो, गेहूँ की तीन किस्में तथा खजूर एवं कपास (विश्व में प्रथम) खेती के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
  • महगड़ा तथा पंचोह से मिले बर्तनों में एक विशिष्ट बर्तन रस्सी की छाप वाला है।
  • कुचाई नामक स्थल से पालिशदार प्रस्तर कुल्हाड़ियां प्राप्त हुई हैं।
  • कश्मीर की नवपाषाणिक प्राप्तियों में माइक्रोलिथ उपकरणों का अभाव है।
  • बुर्जहोम व गुफ्फकराल से गर्त निवास के साक्ष्य प्राप्त हुए है। बुर्जहोम से एक समाधि स्थल से मालिक के साथ उसके पालतू कुत्ते के दफनाने का साक्ष्य मिला है।
  • चोपानीमांडो से मृदभाण्ड प्रयोग के विषय में प्राचीनतम साक्ष्य मिले हैं।
  • कर्नाटक के टेक्कलकोट से सोना मिला है।
  • गुफकराल से उपकरणों के साथ सिलबट्टा व हड्डी की सूइयां मिली है।
  • कोल्डिहवा से धान की खेती का प्रमाण (प्राचीनतम) (7000-6000 ई-पू-) मिला है। लहुरादेव (संत कबीर नगर-उ.प्र.) से 8000 B.C. धान की खेती का साक्ष्य मिला, जो दुनिया में प्राचीनतम है। (नोट:- पहले कोल्डिहवा से धान की खेती का प्राचीनतम साक्ष्य माना जाता था जबकि हाल के खोज में लहुरादेव को माना जा रहा है, इसलिए प्रश्नानुसार उत्तर दिया जाना चाहिए)
  • कोल्डिहवा से वन्य एवं कृषिजन्य दोनों प्रकार के चावल का साक्ष्य मिला है।
  • बेलनघाटी में चोपानीमाण्डों से 3 किलोमीटर दूर महगड़ा/महागढ़ा से गोशाला (पशुओं का विशाल बाड़ा) का साक्ष्य प्राप्त हुआ है।
  • दक्षिण भारत से उगाई जाने वाली पहली फसल रागी थी। दक्षिण भारत में नवपाषाण काल 1000 B.C, तक चलता रहा। इसी समय यहां महापाषाणिक संस्कृति का उदय हुआ।
  • दक्षिण भारत में शवाधान घर के अंदर मिले हैं पर नागार्जुनकोंडा अपवाद है जहां कब्रिस्तान आवासीय क्षेत्र से बाहर मिला है।
  • बुर्जहोम एवं चिरांद (बिहार) से पत्थर के साथ हड्डी के व्यापक उपकरण प्राप्त हुए हैं।
  • बुर्जहोम से प्राथमिक व द्वितीयक दोनों शवाधान मिलते हैं और वह भी कुत्तों के साथ। बुर्जहोम आधुनिक श्रीनगर के पास है।
  • झूम खेती का प्राचीनतम साक्ष्य मेघालय के दाओजाली हार्डिंग से मिला है।
  • मालवाहक पशुओं के इस्तेमाल का प्रमाण नागार्जुनकोंडा से प्राप्त हुआ है। यहीं से नव पाषाण कालीन युगल शवाधान भी मिला है।
  • आंध्र के उत्नूर से कपड़ा निर्माण का साक्ष्य मिला है।
  • आजादी के बाद खोजा गया प्रथम नवपाषाणिक स्थल है ब्रह्मगिरि (कर्नाटक)।

नव पाषाण काल (Neolithic age in Hindi) के स्थल

  • नवपाषाणिक स्थल: मेहरगढ़, बुर्जहोम, गुफकराल, महागढ़ा, कोल्डिहवा, चोपानीमांडो, चिरांद, दाओजाली हार्डिंग, नागार्जुनकोंडा, उत्नूर, ब्रह्मगिरि, मास्की, हल्लूर, पिक्लीहल, टेक्कलकोट, नागार्जुनकोंडा, उतनुर, पलवाय, संगनकल्लु, पैयमपल्ली।नव पाषाण काल

 

नव पाषाण काल (Neolithic age in Hindi) : FAQ

 

नवपाषाण युग की शुरुआत कब हुई?

नवपाषाण युग की शुरुआत का काल पुरे विश्व में एक समान नहीं हुआ है, वैश्विक स्तर पर नव पाषाण काल की शुरुआत 9000 BC के आस पास माना जाता है। भारत में इसका काल की शुरुआत 6000 BC के आस पास माना जाता है हालांकि कुछ नव पाषानिक स्थल का काल 2500 BC है तो दक्षिण भारत में इसे 1000 BC के आस पास माना जाता है।

नवपाषाण काल में क्या हुआ था?

नवपाषाण काल में कृषि एवं पशुपालन मुख्य पेशा हो गया, कृषि के कारण एक जगह स्थिर रहकर खेती करने के कारण स्थायी जीवन का आरम्भ हुआ।

नवपाषाण युग का अर्थ क्या है?

नवपाषाण युग का अर्थ है एक ऐसा युग जो पाषाण काल के सबसे अंत में आया जिसनें मानवीय जीवन को स्थायी रूप से परिवर्तित कर दिया।

नव पाषाण काल को क्रांति क्यों कहा जाता है?

गार्डन चाइल्ड ने नव पाषाण काल के लिए क्रांति शब्द का प्रयोग किया क्योंकि मानव का खानाबदोश शिकारी जीवन परिवर्तित होकर स्थायी हो गया। इस काल के परिवर्तनों में कृषि का विकास, मृद्भांड का उपयोग, शिल्प का विकास, सामाजिकता, सांस्कृतिक विकास आदि ने मानवीय जीवन को परिवर्तित कर दिया जिसके लिए इसे क्रांति का कालमाना जाता है।

मनुष्य ने कृषि करना कब शुरू किया?

माना जाता है कि नियमित रूप से कृषि कार्य करना मानव ने नव पाषाण काल में आरम्भ कर दिया, हालांकि बहुत सिमित रूप में ही फसलों का उत्पादन किया जाता था, कृषि कार्य लकड़ी, पत्थर. जानवरों के सिंघ आदि की सहायता से की जाती थी.

नवपाषाण काल के लोगों द्वारा पाला गया प्रथम पशु क्या था?

 पशुओं के पालने का प्रयास मध्यपाषाण काल से ही प्रारंभ हो चुके था। मानव ने सर्वप्रथम कुत्ता को पालतू बनाया जो शिकार में सहयोगी था।भेंड़ दूसरा पशु है जिसे मानव ने पालतू पशु के रूप में अपनाया। माना जाता है कि प्रायः 11,000 ई.पू.से 9000 ई.पू. के बीच दक्षिण-पश्चिम एशिया में भेड़ को पालतू पशु बनाया गया, जिसका उपयोग मांस के लिए गया तथा लगभग यही काल नवपाषाण काल का है।

नवपाषाण काल की प्रमुख विशेषताएं बताइए

नवपाषाण काल की निम्न प्रमुख विशेषताएं थी:-
पशुपालन,
कृषि कर्म- गेहूं और जौ जैसे फसल का उत्पादन ,
चाक पर मृदभांड निर्माण,
पहिया का अविष्कार
स्थायी निवास,
पोलिशदार औजार,
धातुरहित काल,
सामाजिक विकास,
शावाधान संस्कार आदि.

नवपाषाण काल में किसका आविष्कार हुआ था?

नवपाषाण काल में पहिए का आविष्कार हुआ जिससे सामान ढुलाई एवं मृद्भांड निर्माण हुआ.

भारत में नवपाषाण काल का प्रसिद्ध केंद्र कौन सा है?

बुर्जहोम, गुफकराल, महागढ़ा, कोल्डिहवा, चोपानीमांडो, चिरांद, दाओजाली हार्डिंग, नागार्जुनकोंडा, उत्नूर, ब्रह्मगिरि, मास्की, हल्लूर, पिक्लीहल, टेक्कलकोट, नागार्जुनकोंडा, उतनुर, पलवाय, संगनकल्लु, पैयमपल्ली।

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