Non Religious sources of History in Hindi | लौकिक साहित्य | धर्मेतर साहित्य : Amazing Facts

Non Religious sources of History in Hindi

धर्मेतर साहित्य

Non Religious sources of History in Hindi या secular literary sources of history in Hindi के इस लेख में  ब्राहमन धर्म या बौद्ध धर्म या जैन धर्म के आलवे जो ग्रंथ अथवा साहित्य उस समय लिखे गए या बाद में लिखे गए जिससे प्राचीन भारतीय इतिहास की जानकारी मिलती है को शामिल किया जाता है इसलिए इसे धर्मेतर साहित्य कहा जाता है जो इतिहास के साहित्यिक स्रोत का ही एक भाग है।

Non Religious sources of History in Hindi अर्थात लौकिक साहित्य अथवा धर्मेतर साहित्य जिसमे ऐतिहासिक एवं अर्द्ध-ऐतिहासिक ग्रंथों तथा जीवनियों को रखा जा सकता है। प्राचीन काल के इसप्रकार के साहित्य व्यापक रूप में उपलब्ध नहीं हैं।

चूंकि प्राचीन काल के समाज की दृष्टि आध्यात्मिक थी इसलिए Non Religious sources of History in Hindi अर्थात लौकिक साहित्य अथवा धर्मेतर साहित्य प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं।

धर्मेतर साहित्य : मौर्य कालीन स्रोत

  • ऐतिहासिक रचनाओं में सर्वप्रथम अर्थशास्त्र है।
  • अर्थशास्त्र– इसे सम्भवतः भारत का पहला राजनीतिक ग्रन्थ माना जाता है भारतीय राजनीतिक विज्ञान में इसका वही स्थान है जो मैक्यावेली के प्रिंस की है। इसकी रचना चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमंत्री कौटिल्य (चाणक्य / विष्णुगुप्त) ने की थी।
  • मौर्यकालीन इतिहास एवं राजनीति की जानकारी के लिए अर्थशास्त्र एक प्रमुख स्रोत एवं विधि ग्रंथ है। अर्थशास्त्र कुल पन्द्रह अधिकरणों या खण्डों में विभक्त है इसका द्वितीय और तृतीय खण्ड सर्वाधिक प्राचीन है।
  • अर्थशास्त्र पर टीका प्रबन्धचिन्तामणि है।
  • विशाखदत्त के मुद्राराक्षस, सोमदेव के कथा सरित्सागर और क्षेमेन्द्र की बृहत्कथामंजरी से मौर्य काल की कुछ घटनाओं पर प्रकाश पड़ता है।

Non Religious sources of History in Hindi

धर्मेतर साहित्य : अन्य काल से संबंधित ग्रंथ 

  • गार्गी संहिता (ज्योतिष ग्रन्थ) जिसमें भारत पर होने वाले यवन आक्रमण का उल्लेख मिलता है। 
  • पतंजलि के महाभाष्य तथा कालिदास की रचना मालविकाग्निमित्र से शुंग काल के इतिहास की जानकारी मिलती है।
  • शूद्रक के मृच्छकटिकम नाटक से तत्कालीन समाज के लिए महत्वपूर्ण स्रोत है।
  • कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनेक सिद्धान्तों को सातवीं-आठवीं शताब्दी ई. में कामन्दक ने अपने नीतिसार में संकलित किया।
  • ऐतिहासिक रचनाओं में सर्वाधिक महत्व कश्मीरी कवि कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी का है। इसे ऐतिहासिक घटनाओं के क्रमबद्ध इतिहास लेखन का प्रथम प्रयास माना जाता है।
  • राजतरंगिणी की रचना 12वीं सदी में संस्कृत भाषा में हुई जिससे कश्मीर के इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है।‘राजतरंगिणी’ में इसके बाद अर्थात 1150 ई. के बाद का विवरण क्रमशः जोनराज व श्रीवर द्वारा दिया गया है
  • सोमेश्वरकृत रसमाला तथा कीर्तिकौमुदी मेरुतुंग कृत प्रबन्धचिन्तामणि राजशेखर कृत प्रबन्धकोश आदि ग्रन्थों से हमें गुजरात के चालुक्य वंश का इतिहास तथा उसके समय की संस्कृति का अच्छा ज्ञान प्राप्त होता है।
  • 13वीं शताब्दी के आरम्भ में अरब लोगों ने अरबी में सिन्ध का इतिहास लिखा, जिसका फारसी अनुवाद ‘चचनामा’ नामक पुस्तक में उपलब्ध है। मूल ग्रन्थ का लेखक मुहम्मद अली विन अबू वक्र कूफी था।

धर्मेतर साहित्य : संगम साहित्य (दक्षिण भारत)

  • दक्षिण भारत का प्रारम्भिक इतिहास संगम साहित्य से ज्ञात होता है जिसकी रचना तमिल भाषा में तीन संगमों के दौरान किया गया।
  • संगम युग की प्रमुख ग्रंथों में तोलकाप्पियम्, एतुत्तौके, पत्तुप्पातु, पदिनेकिल्लकणक्कु,शिलप्पादिकारम्, मणिमेखलै और जीवक चिंतामणि इत्यादि शामिल हैं।
  • दक्षिण के पल्लव और चोल शासकों का इतिहास मुख्य रूप से नन्दिक्कलम्बकम, कलिगतुपरणि तथा चोल-चरित से प्राप्त होता है।

धर्मेतर साहित्य : अन्य ग्रंथ एवं उसके लेखक 

लेखक                      रचना 

  • अश्वघोष –            बुद्धचरित
  • बाणभट्ट –            हर्षचरित
  • वाक्पति –            गौडवहो
  • विल्हण –             विक्रमांकदेव चरित
  • पद्मगुप्त –            नव साहसांक चरित
  • संध्याकार नन्दी-  रामचरित
  • हेमचन्द्र –            कुमारपाल चरित
  • जयानक –           पृथ्वीराज विजय 
  • हरिभद्र सूरि-       समरादित्यकहा, धूर्ताख्यान व कथाकोश
  • उद्योतन सूरि –     कुवलयमाला
  • सिद्धर्षि सूरि –      उपमिति भवकथा
  • जिनेश्वर सूरि-       कथाकोष प्रकरण
  • जिनसेन सूरि-      आदि पुराण
  • गुणभद्र –             उत्तर पुराण
  • सोमेश्वर –             कीर्तिकौमुदी
  • अरिसिंह-            सुकृत संकीर्तन
  • मेरूतुंग –            प्रबंध चिंतामणि
  • बालचंद्र –            बसंत विलास
  • राजशेखर –          प्रबंधकोश
  • जयसिंह –            हम्मीर मदमर्दन

नाटक:

  • राजशेखर-          बाल रामायण 
  • राजशेखर-          बाल महाभारत 
  • विग्रहराज चतुर्थ- हरिकेलि

शब्दकोश:

  • यादव प्रकाश-      वैजयन्ती
  • राजशेखर –          प्रबंधकोश
  • हलायुध –            अभिधान रत्नमाला 

नाट्यशास्त्र:

  • धनन्जय-             दशरूपक
  • धनिक-               दशरूपावलोक

नीति:

  • देवण्यभट्ट-        स्मृतिचंद्रिका
  • लक्ष्मीधर –         कृत्यकल्पतरू
  • बल्लालसेन-      दानसागर
  • भट्टस्वामी-        प्रतिपदापंचिका
  • मल्लट –            नीतिवाक्यामृत

गीतिकाव्य/ललितकाव्य:

  • जयदेव –             गीतगोविंद
  • धोयी –                पवनदूतम
  • श्रीधर –               सदुक्ति कर्णामृत

विज्ञानपरक:

  • भोज –                आयुर्वेद सर्वस्व
  • भोज –                 शालिहान (पशु चिकित्सा से संबंधित)
  • भोज –                 युक्तिकल्पतरू (उद्योग व तकनीकी)
  • सुरेश्वर –              लौह पद्धति (लौह तकनीकी)
  • चक्रपाणिदत्त –      चिकित्साशास्त्र

काव्यशास्त्र:

  • राजशेखर –          काव्यमीमांसा
  • आनन्दवर्धन –      ध्वन्यालोक

प्राकृत साहित्य:

  • हेमचंद्र-               कुमारपाल चरित
  • गुणभद्र –              महावीरचरित
  • देवभद्र –               पार्श्वनाथचरित

अपभ्रंश:

  • स्वयंभूदत्त –            पउमचरिउ
  • पुष्यदंत –               नयकुमारचर्या
  • चंदबरदायी –          पृथ्वीराजरासो
  • धनेश्वर –                 सुरासुन्दरीचरित
  • उद्योतनसूरी –          कुबलयमाला
  • हरिभद्रसूरी –           समराईच्चकथा
  • नरपतिनाल्ह –          बीसलदेवरासो

प्रारम्भिक परीक्षा के लिए इतिहास के स्रोत से संबंधित अन्य प्रमुख लेख:

इतिहास के स्रोत 

इतिहास के साहित्यिक स्रोत : ब्रह्मणेतर साहित्य – बौद्ध एवं जैन साहित्य

इतिहास के साहित्यिक स्रोत : ब्राह्मण ग्रंथ – वेद, उपनिषद, ब्राह्मण, अरण्यक,पुराण 


धर्मेतर साहित्य : FAQ

Q. ऐतिहासिक दृष्टिकोण से प्रथम महत्वपूर्ण रचना किसे माना जाता है?

राजतरंगिनी को ऐतिहासिक रूप से प्रथम महत्वपूर्ण रचना माना जाता है जिसमे कश्मीर का क्रमबबद्ध इतिहास कल्हण ने लिखा है।

Q. अर्थशास्त्र का विषय वस्तु क्या है?

अर्थशास्त्र का विषय वस्तु राजनीतिक विज्ञान है।

Q. यवन आक्रमण का सर्वप्रथम उल्लेख किस ग्रंथ में मिलता है?

गार्गी संहिता में यवन आक्रमण का प्रथम साक्ष्य मिलता है।

Q. अर्थशास्त्र पर टीका कौन सी है?

अर्थशास्त्र पर टीका प्रबन्धचिन्तामणि है।

Q. अर्थशास्त्र का लेखक कौन था?

अर्थशास्त्र का लेखक कौटिल्य या चाणक्य या विष्णुगुप्त था।

 

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